Tuesday, June 24, 2025
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बॉम्बे हाईकोर्ट ने रद्द किया FIR, जानें महिला के काटने पर HC ने क्या कहा?

बॉम्बे हाईकोर्ट (HIGH COURT OF BOMBAY) से एक अनोखा मामला सामने आया है. कोर्ट ने इंसानी दांत को खतरनाक मानने से इंकार दिया. कोर्ट ने कहा मानव दांतो को खतरनाक हथियार की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता. दरअसल एक महिला ने अपने ससुराल वालों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसकी भाभी ने उसे दांत से काटा, जिससे उसे गंभीर चोट लगी है. शिकायत पर पुलिस ने उसके ससुराल वालों पर भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत खतरनाक हथियारों से नुकसान पहुंचाने का मामला दर्ज किया था, जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है महाराष्ट्र की एक महिला ने दांत को खतरनाक हथियार मानने को लेकर शिकायत की थी और इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई थी. अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस केस को खारिज करते हुए कहा कि मानव दांतों को खतरनाक हथियार नहीं माना जा सकता. कोर्ट ने कहा कि मानव दांत खतरनाक हथियार नहीं है, जिससे गंभीर नुकसान हो.बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ के जज विभा कंकनवाड़ी और संजय देशमुख ने 4 अप्रैल को आदेश में कहा कि शिकायतकर्ता के मेडिकल सर्टिफिकेट से पता चलता है कि दांतों के निशान से केवल मामूली चोट लगी है.

झगड़े में भाभी ने दांतो से काटा

साल 2020 में महिला की शिकायत पर दर्ज एफआई के मुताबिक हाथापाई के दौरान उसकी एक भाभी ने उसे काट लिया, जिससे उसे खतरनाक हथियार से नुकसान पहुंचा है. हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत खतरनाक हथियारों से नुकसान पहुंचाने, किसी को चोट पहुंचाने और चोट पहुंचाने का मामला दर्ज किया गया है. सुनवाई को दौरान कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मानव दांतों को खतरनाक हथियार की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है. इसने आरोपी की ओर से दायर याचिका को स्वीकार कर लिया और एफआईआर को खारिज कर दिया. बता दें कि भारतीय दंड संहिता की धारा 324 (खतरनाक हथियार का उपयोग करके चोट पहुंचाना) के तहत, चोट किसी ऐसे हथियार के जरिए होनी चाहिए जिससे मौत हो गई हो या फिर गंभीर नुकसान होने की संभावना होने पर केस दर्ज किया जाता है. 

यह कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग

कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता के मेडिकल रिपोर्ट इस बात साफ सबूत है कि दांतों की वजह से उन्हें कोई भी गंभीर चोट नहीं लगी है. ये निशान एक साधारण से चोट का है. हाईकोर्ट ने कहा कि जब ये घटना धारा 324 के तहत अपराध में नहीं आती है तो आरोपी पर मुकदमा चलाना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा. ने कहा FIR को रद्द कर दिया. कोर्ट ने कहा कि आरोपी और शिकायतकर्ता के बीच संपत्ति का मामला समझ में आ रहा है, जिसकी वजह से इस तरह की शिकायत की गई है.

Ravindra Singh Bhatia
Ravindra Singh Bhatiahttps://wsibm.org
Chief Editor PPNEWS.IN. More Details 9755884666
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