Wednesday, June 25, 2025
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प्रत्याशियों के नामांकन निरस्त होने पर बिफरे पीसीसी चीफ दीपक बैज, कहा- हाई कोर्ट जाएंगे हम…

रायपुर। निकाय चुनाव में प्रत्याशियों के नामांकन निरस्त होने को लेकर पीसीसी चीफ दीपक बैज सरकार के खिलाफ हमलावर रुख अख्तियार कर लिया है. उन्होंने सरकार पर दोहरी नीति के तहत काम करने का आरोप लगाते हुए निरस्त किए गए नामांकनों के मामले में हाई कोर्ट जाने की बात कही है.प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष दीपक बैज ने मीडिया से चर्चा में कहा कि धमतरी में मुख्यमंत्री के करीबी को लाभ पहुँचाने के लिए बीजेपी ने कांग्रेस के मेयर कैंडिडेट का नामांकन रद्द कराया है. यह षड्यंत्रपूर्वक किया गया है, जो पूरे प्रदेश में उजागर हो चुका है. उन्होंने आरोप लगाया कि कहीं डरा-धमका कर नामांकन वापस करा रहे हैं, तो कहीं नामांकन निरस्त कर रहे हैं.बैज ने कहा कि सूरजपुर में सरकार यादव को ओबीसी नहीं मान रही, लेकिन बिलासपुर में विधानी को ओबीसी मान रही है. 15 साल बीजेपी की सरकार में मलकीत गैदू को भी सरकार ने ओबीसी मानने से इनकार कर दिया था. ये है सरकार की दोहरी नीति. कई जगह वार्डों में भी यही स्थिति है. सरकार चुनाव से डरी हुई है, इसलिए हर हथकंडे अपना रही है. लेकिन हम डरे नहीं है. हर परिस्थिति में हम कार्यकर्ताओं के साथ खड़े है.

दीपक बैज ने कहा कि हम हाई कोर्ट जाएँगे, और लड़ाई लड़ेंगे. सीनियर नेताओं से हमारी बात हुई है. हमने अपनी रणनीति सेफ रखी है. बीजेपी ने बहुत गंदी राजनीति की है. सरकार की नियत में खोट थी, इसलिए पहले से यह सब तय करके रखा था. हम इसके ख़िलाफ़ न्याय की लड़ाई लड़ेंगे.

जिलाध्यक्षों के पार्टी छोड़ने पर कही यह बात

वहीं बेमेतरा जिलाध्यक्ष बंसी पटेल के बाद मोहला-मानपुर में जिलाध्यक्ष के पार्टी छोड़ने पर पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि कुछ कमजोर ज़िलाध्यक्षों को बदलने की चर्चा थी. पार्टी के टिकट नहीं देने के चलते उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दिया है. कोई पद छोड़ना चाहता है, तो उससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता. पार्टी के पास उसके मजबूत विकल्प हैं. जहां इस्तीफ़ा दिया गया है, वहां कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर दिए गए हैं. चुनाव के लिए पार्टी पूरी मज़बूत के साथ तैयार है.

घुसपैठियों के नाम पर माहौल गर्माने की कोशिश

पीसीसी चीफ दीपक बैज ने राजधानी में अवैध रूप से रह रहे लोगों की पहचान करने पर तंज कसते हुए कहा कि गिरफ़्तार हुए 90% लोग रोहिंग्या नहीं, हिंदू हैं. साय सरकार देश के अन्य हिस्से से आए हिंदुओं को रोहिंग्या बताकर चुनावी माहौल को गरम करने की कोशिश कर रही है. सरकार जिन्हें रोहिंग्या कह रही है, वे अपनी रोजी-रोटी के लिए दूसरे प्रदेश से आए हैं. ऐसे में क्या हमारे गरीब मजदूर जो कर्नाटक, गोवा, जम्मू-कश्मीर, असम में मिलेंगे… क्या वो रोहिंग्या हो गए?

2500 लोगों के जाति-नाम करें सार्वजनिक

उन्होंने कहा कि किसी गरीब मजदूर को रोहिंग्या बताकर उनकी रोजी-रोटी बंद करना गलत है. सरकार को सूची सार्वजनिक करना चाहिए कि मजदूर कहां से काम करने आए हैं. वो कौन से जाति-धर्म से आते हैं, ये सार्वजनिक करना चाहिए. क्या 2500 में 2500 रोहिंग्या हैं? देश के अंदर रोजी-रोटी के लिए अन्य राज्य में बसने का संवैधानिक अधिकार है.

Ravindra Singh Bhatia
Ravindra Singh Bhatiahttps://wsibm.org
Chief Editor PPNEWS.IN. More Details 9755884666
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