रायगढ़।
जिले में बहुत सारे सामाजिक संगठन और प्राइवेट अस्पताल के सहयोग से साल भर में 15 से 20 रक्तदान शिविर लगाए जाते हैं । और इन रक्तदान से साल भर में 4000 से 5000 यूनिट ब्लड डोनेशन होता है बजरंग अग्रवाल ने कहा कि लोग बड़े उत्साह के साथ अपने खून को दान करने शिविरों में पहुंचते हैं लेकिन इसका कोई हिसाब किताब नहीं है कि दान किए गए खून जरूरतमंदों को निःशुल्क मिलता है। रकदाता के द्वारा दान किया गया रक्त वास्तव में जरूरतमंद तक निःशुल्क पहुंचता है यह जानने का अधिकार भी उस रक्तदाता को है।
सामाजिक संगठनों द्वारा रक्तदान शिविर लगाना बहुत अच्छी बात है । रक्तदान शिविर लगाने वाले सामाजिक संस्था को भी यह बात स्पष्ट करनी चाहिए यह रक्त जो आता है उसका स्टोरेज किस-किस ब्लड बैंक में किया जाता है एवं उसे ब्लड बैंक से नि:शुल्क बिना ब्लड लिए कितने लोगों को प्रतिवर्ष दिया जाता है। इसका रजिस्टर मेंटेन किया जाता है कि नहीं जिसको भी नि:शुल्क ब्लड दिया जाता है उसका नाम पता मोबाइल नंबर सारा रिकॉर्ड रखा जाता है कि नहीं यह सब रक्तदान शिविर के आयोजन करने वाले को भी रखना चाहिए। यह मांग आम जनता के सेवक बजरंग अग्रवाल ने सभी रकदान शिविर आयोजकों से की है कि ब्लड बाजार में डोनेशन वाला बिक्री न हो इसकी निगरानी बहुत आवश्यक है। अगर ब्लड बिक्री होगा तो यह शिविर लगाना व्यर्थ है क्योंकि गरीबों जरूर मंद को नि:शुल्क ब्लड नहीं मिलेगा तो इन चीजों का कोई औचित्य नहीं है। अभी तक पिछले 5 साल में लगभग 20000 बोतल ब्लड डोनेशन हुआ है। उसका पूरा हिसाब सामाजिक संस्थाओं को न्यूज़ पेपर के जरीए जनता को बताना चाहिए। जिससे कि ब्लड देने वाला भी गर्व महसूस करें कि मेरा ब्लड किसी जरूरतमंद को निशुल्क मिला है और जिला प्रशासन की भी यह जवाब दे ही होती है कि इस ब्लड डोनेट शिविरों में जो ब्लड आता है उसकी पूरी निगरानी स्वास्थ्य विभाग के द्वारा निर्देश देकर करवानी चाहिए। शिविरों में एकत्रित खून जरूरतमंदों को नि:शुल्क मिलना चाहिए आम जनता के सेवक बजरंग अग्रवाल ने जिला प्रशासन से भी मांग किया है कि पिछले 5 साल में जितने भी ब्लड डोनेशन कैंप लगे हैं उसके पूरे रिकॉर्ड प्राप्त कर यह जांच करनी चाहिए कि उसमें आया हुआ ब्लड नि:शुल्क बटा की नहीं उसका दुरुपयोग तो नहीं किया गया है यह प्रशासन की जवाब देही बनती है।