Tuesday, June 24, 2025
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भ्रामक विज्ञापनों को लेकर सख्त निर्देश जारी किए हैं. कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों को लेकर सख्त निर्देश जारी किए हैं. कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि शीर्ष अदालत ने राज्यों को आपत्तिजनक विज्ञापनों से निपटने के लिए दो महीने के भीतर शिकायत निवारण तंत्र बनाने के निर्देश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि ऐसे विज्ञापन समाज को नुकसान पहुंचाते हैं, इन पर कड़ी निगरानी की आवश्यकता है. भ्रामक विज्ञापन के मामले में न्यायमूर्ति अभय एस ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने राज्यों को निर्देश दिया कि वे 1954 के ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट के तहत निषिद्ध आपत्तिजनक विज्ञापनों के खिलाफ आम जनता की शिकायतों के लिए एक उपयुक्त तंत्र तैयार की जाए, जिसके कानून के तहत लोग प्रतिबंधित व आपत्तिजन विज्ञापनों के बारे में शिकायत दर्ज करा सके. जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने बुधवार को यह आदेश जारी किया. कोर्ट ने आदेश में कहा, “हम राज्यों को निर्देश देते हैं कि वे दो महीने के भीतर उचित शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करें और इसकी उपलब्धता के बारे में नियमित रूप से प्रचार करें. सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को पुलिस तंत्र को इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए संवेदनशील बनाने का भी निर्देश दिया. IMA की याचिका से गहराया मुद्दा

इससे पहले 7 मई, 2024 को एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए न्यायालय ने आदेश दिया था कि केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के अनुरूप, किसी भी विज्ञापन के प्रकाशन से पहले विज्ञापनदाताओं से स्व-घोषणा प्राप्त की जाए. भ्रामक विज्ञापन मुद्दा सुप्रीम कोर्ट ने साल 2022 में भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए उठाया था. भारतीय चिकित्सा संघ ने आरोप लगाया था कि टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा के खिलाफ एक बदनाम करने वाला अभियान चलाया जा रहा है. गलत सूचना फैला रहे हैं जो सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरे में डाल सकती है.

Ravindra Singh Bhatia
Ravindra Singh Bhatiahttps://wsibm.org
Chief Editor PPNEWS.IN. More Details 9755884666
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