Wednesday, June 25, 2025
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जंगलों में नहीं रुक रही पेड़ों अवैध कटाई, DFO ने कहा- जांच के बाद होगी कार्रवाई…

बीजापुर. छत्तीसगढ़ के आदिवासीय क्षेत्र बीजापुर, जहां पेड़ों को भगवान स्वरूप पूजा जाता है. जहां आदिवासी अपनी प्रकृति को बचाने के लिए आंदोलन करते हुए मर मिटते हैं, ऐसी जगह पर जिन अधिकारियों पर जंगलों के संरक्षण की जिम्मेदारी है, उनके नाक के नीचे लगातार कुटरू वन परिक्षेत्र (बफर) के वनों में अवैध कटाई जारी है और वे कुंभकरण की नींद सो रहे हैं. 

ग्रामीणों का आरोप है कि विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण पेड़ काटे जा रहे हैं. जबकि वन विभाग अवैध कटाई करने वालों पर को सख्त कार्रवाई नहीं कर रहा है. बीट नैमेड़ के नयापारा में वनों की अवैध कटाई पर विभाग अंकुश नहीं लग पा रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि बीट नैमेड़ के नयापारा क्षेत्र में जंगलों को खेती किसानी के लिए साफ किया जा रहा है. इसमें ऐसे पेड़ों को भी ग्रामीण काट रहे हैं, जिन्हें कुछ साल पहले ही रोपा गया था. कई स्थानीय लोगों द्वारा विभागीय अधिकारियों से भी इसकी शिकायत करने पर भी विभाग के रेंजर से लेकर बीट गार्ड के कानों में जूं तक नही रेंग रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि वन विभाग समेत कई जिम्मेदारों को इस अवैध कारोबार के बारे में जानकारी है, लेकिन इस संबंध में पूछे जाने पर ऐसी गतिविधियों के होने से नकार दिया जाता है. यदा कदा विभाग के द्वारा ग्रामीणों की सजगता एवं सूचना पर लकड़ी तस्करों पर कार्रवाई की जाती है. उनमें से भी पुख्ता कार्रवाई के अभाव में दोषी बच निकलते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि अवैध कटाई से क्षेत्र के जंगल उजड़ रहे हैं. जंगलों से इमारती लकड़ी के साथ-साथ अवैध जलाऊ लकड़ी का कारोबार भी दिनोंदिन फल फूल रहा है. इन लकड़ियों का प्रयोग होटलों, ढाबों, ईंट भट्‌टों सहित ग्रामीण क्षेत्रों में किया जा रहा है. 

अवैध कटाई के बाद जमीन को लेकर बढ़ रहा आपसी विवाद

हाल ही में कुटरू वन परिक्षेत्र के बीच जंगल कटाई देखने को मिली. वहीं नैमेड़ बीट के नयापारा के बीच जंगल कटाई के निशान दिखाई दे रहे हैं. यहां कुछ ग्रामीण जहां जंगलों की कटाई कर रहे हैं. वहीं जंगल साफ कर खेती करने और जमीन अतिक्रमण पर भी लोगों में आपसी विवाद हो रहे हैं.

कब्जा का कारण खेती करने और पट़्टों का लालच

कुछ स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि नैमेड़ आदिवासी समुदाय की आड़ में वन माफिया काम करता है. वह उनसे जमीन साफ करवाकर उस पर कब्जा करके खेती करता है. आदिवासी समुदाय गरीब का गरीब बना रहता है. उनका कहना है कि गांव वाले यह समझने लगे हैं कि वनों पर उनकी जिंदगी निर्भर है. अगर वे न रहे तो न तो मवेशियों को चराने के लिए जगह बचेगी न ही बारिश होगी. इसके लिए ग्रामीण भी पहल कर चुके हैं. लेकिन विभागीय लापरवाही की वजह से जंगल कटाई नहीं रुक पा रही है. वहीं पट्‌टों के लालच में भी कई ग्रामीण कब्जे करने जंगलों की ओर रुख कर रहे हैं.

जानिए क्या कहते हैं जिम्मेदार:

इस पूरे मामले में जब परिक्षेत्र रेंजर रामायण मिश्रा से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि पहले भी जंगल कट चुका है, ग्रामीणों को समझाने पर भी नही समझते हैं, उसमें विभाग क्या करेगा.

हालांकि इसके बाद इंद्रावती डीएफओ संदीप बल्गा ने जांच और कार्रवाई की बात कही है. उन्होंने कहा कि जिस क्षेत्र की आप बात कर रहे हैं, मैं वहां स्टाफ भेजकर जांच करवाता हूं और जो भी लोग इस प्रकार का काम कर रहे हैं, उन पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी. 

Ravindra Singh Bhatia
Ravindra Singh Bhatiahttps://wsibm.org
Chief Editor PPNEWS.IN. More Details 9755884666
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